ग़मों की भीड़ में सब कुछ भुला दे आपका चेहरा
तमन्ना को नयाँ सा हौसला दे आपका चेहरा ||
मुझे तन्हाइयों से बात करना भा रहा है क्यूँ
कहीं मुझको मुझी से ना मिला दे आपका चेहरा ||
मुहोब्बत की किताबों ने डराया है हमें अक्सर
नजर भर देखते ही सब भुला दे आपका चेहरा ||
हकीकत की हवाओं ने बुझाया आश का दीपक
मगर विश्वाश का दीपक जला दे आपका चेहरा ||
घडी भर के लिए गर आप हो जाएँ खफा मुझसे
मनाने का नयाँ सा सिलसिला दे आपका चेहरा ||
बताएं आपको क्या हाल क्या होता हमारा जब
कभी मासूमियत से खिलखिला दे आपका चेहरा ||
नजर भर देखने की आप हमको जो सजा दोगे
हमें मंजूर है जो भी सिला दे आपका चेहरा ||
ग़मों की भीड़ में सब कुछ भुला दे आपका चेहरा
तमन्ना को नयाँ सा हौसला दे आपका चेहरा ||
मनोज नौटियाल
बहुत सुन्दर प्रेममय रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
ग़मों की भीड़ में सब कुछ भुला दे आपका चेहरा
जवाब देंहटाएंतमन्ना को नयाँ सा हौसला दे आपका चेहरा ||
.......क्या भाव प्रस्तुत किये हैं इस खूबसूरत गज़ल के द्वारा. हर शेर दिल को छूता है.