मंगलवार, 5 मार्च 2013

होली गीत (ब्रिज मंडल )






कान्हा ने होरी खेलन को टोली मस्त बनायी है 

ग्वाल ,बाल सब रंग डारे गोपी डरकर घबराई है 

ब्रज मंडल में बरसाने से राधा जी की सखियों ने 

रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||


पकड़ो -पकड़ो - इसको श्याम बड़ा नटखट ये 

चुपके - छुपके बैठा गोपी संग घूंघट में 

घेर लियो है श्याम सलोना राधा जी मुस्काई है 

रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||


कण कण रंगरेज हुआ होरी के रंगों में 

ढोलक की तालों में रसमय तरंगो में 

रंगों की रंगोली ब्रिज के कण कण में बिखरा दी है 

रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||


रंगों का महारास कान्हा के संग आज 

मुरली की तान गान झूमे सब ग्वाल बाल 

गोपी संग राधा जी झूमे ,नाचे किशन कन्हाई है 

रंग लायी भर भर पिचकारी , धूम मचाने आई है ||

इस घर- उस घर आँगन देखो क्या मची धूम 

रंग डारे सभी आज नाचे सब घूम घूम 

देखो -देखो ब्रिज मंडल में कैसी मस्ती छाई है 

रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||

सबको नचाये जो, नाच रहा बेसुध है 

पालन कर्ता खुद ही खोया सब सुध-बुध है 

चन्द्र वंश के योगेश्वर ने लीला आज रचाई है 

रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||

सुर -नर -गंधर्भ सभी गोकुल में आये हैं 

नारी परिधान डार , कान्हा संग नाचे हैं 

भूतेश्वर बाबा कैलाशी संग में मातु भवानी है 
                              
रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||


-:मनोज नौटियाल :-

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